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फर्श से अर्श तक का सफ़र: मेरी कर्म यात्रा

सृजनात्मक सोच समाधान के दस द्वार खोल देती है I

सर्वदा वर्तमान में रहो I

काल , पात्र  और निमित्त के अनुसार आचरण करना ही बुद्धिमत्ता है I

स्वयं को जानो (know thyself)

एक शिक्षिका के रूप में बच्चो से मातृत्व भाव से जुड़ो I

वैसे तो ये सभी  प्रेरक विचार हैं ,  लेकिन मॉडर्न स्कूल में  विद्यालय प्रबंधक माननीय श्री राकेश कपूर जी के नेतृत्व में ये पुनीत  विचार कर्म के रूप में  प्रतिदिन  कार्यान्वित होता है I

“भय बुधिमत्ता को क्षीण करता है , जहाँ आत्मीयता और स्नेह का वातावरण होता है वहां भय नहीं होता I “  महान  विचारक श्री जे .कृष्णमूर्ति के इस सिद्धान्त पर आधारित मॉडर्न स्कूल  तनाव रहित परिवेश में बच्चो के सर्वांगीण विकास सेतु कटिबद्ध है I विद्यालय की शिक्षा प्रणाली के ये चार मजबूत स्तंभ हैं-

  • भय रहित अनुशासन अर्थात आत्मानुशासन
  • बिना रटे सीखना अर्थात अनुभव से अंतर्दृष्टि का विकास
  • तनाव रहित उत्कृष्टता  अर्थात ध्यान ,धारणा  व समाधि से उत्तमता प्राप्त करना
  • पूर्वाग्रह रहित योग अर्थात मैत्री ,करुणा व मुदिता के भाव से जुड़ना

ये हमारे लिए वेद वाक्य की भातिं है ,जिसे ध्यान में रखकर कपूर सर और  आदरणीया मीना काने जी के नेतृत्व हम बच्चो के संज्ञानात्मक (cognitive) तथा भावनात्मक (affective) विकास हेतु सद्प्रयास कर रहे हैं I

जी हाँ, उपर्युक्त कथन मैंने विद्यालय के पत्रक से नहीं लिया ,अपितु अपने बारह वर्ष के अनुभव के आधार पर स्वतः जाना है  I अपनी कर्मस्थली के रूप में मुझे विद्यालय से जुड़ने का सौभाग्य मिला  और  यहाँ के सकारात्मक परिवेश में अपने बारह वर्ष के सफ़र में मैंने बहुत कुछ सीखा और उसे अपने जीवन में प्रयोग किया I अपनी यात्रा के कुछ यादगार पड़ाव मै साँझा करना चाहती हूँ I वैसे तो हमारी यात्रा गंतव्य तक पहुँच कर पूर्ण हो जाती है ,लेकिन कर्म पथ की यात्रा अनवरत चली रहती है ,जिसमे सुख –दुःख , आशा –निराशा हर पड़ाव मिलते है I हम नए –नए अनुभव के साथ मजबूत होकर आगे बढ़ते है ,आज भी मुझे याद है –जब मै साक्षात्कार हेतु कपूर सर से मुखातिब हुई –मेरे सामने पहला सवाल आया –एक शिक्षिका के रूप में आप पढ़ाना चाहती है या सिखाना I साहित्य की विद्यार्थी थी अतः शब्दों की गंभीरता समझती थी , मैंने झट से बोला –सिखाना

दूसरा सवाल –क्या आप सीखने हेतु तैयार है ? सवाल सुनकर ही मेरा पी.एच्. डी. का अहंकार नष्ट हो गया और मै समझ गयी कि- “फ़र्श पर रहकर ही हम अर्श तक का सफ़र तय कर सकते है “ हमारी  डिग्री  है तो क्या हुआ हमे अपने ज्ञान को हमेशा निखारना चाहिए ,अतः हमे सीखते रहना चाहिए I

जब मुझमे कुछ नया सीखने की अभिरूचि जागृत हुई – विद्यालय का पहला दिन २९  मार्च २००९ –जब हिन्दी अध्यापिका के रूप में मेरी नियुक्ति हुई i अपने विषय ज्ञान में मुझे महारथ हासिल है – इसका आत्म ज्ञान तो था ,लेकिन अंग्रेजी में वाक्पटुता नहीं है इस कटु सत्य को भी जानती थी I मुझे पूर्वाग्रह था कि मै नयी भाषा नहीं सीख पाऊँगी लेकिन कपूर सर ने मुझे उत्साहित किया  ये कहकर कि- हर दिन नया दिन होता है ,आप नयी भाषा सीखिए और आगे बढिए I मुझे समाधान भी मिला और समय भी I इस प्रकार मै अपने पूर्वाग्रह से बाहर निकली और सीखने हेतु तत्पर हुई I

फिर क्या था,उस दिन से सीखने का सिलसिला शुरू हुआ – मीना मैंम का लेसन प्लानिंग सेशन ,क्लास   मैनजमेंट, इवेंट मैनेजमेंट, राकेश कपूर सर का माइंडफुलनेस सेशन ,चाइल्ड काउंसिलिंग,रोल ऑफ़ टीचर , ब्लूम टेक्सानोमी, एल्मा मेटर,  लीडरशिप स्किल्स –मैंने सभी प्रशिक्षण को गंभीरता से लिया और आगे बढती रही  I

जब मुझे सृजनशीलता का अवसर मिला और मेरा आत्मविश्वास बढ़ा-  कुछ नया करने की ललक तो थी मुझमे पर अपने संकोची स्वभाव तथा आत्मविश्वास की कमी के कारण मै अक्सर आगे नहीं आती थी ,लेकिन विद्यालय का सकारात्मक परिवेश और मैनेजमेंट द्वारा संचालित टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम में सहभागिता के करते हुए मेरा आत्मविश्वास मजबूत हुआ I दिसम्बर २०१० की बात है ,जब cognito की तिथि निर्धारित हुई –उस वर्ष एक नया प्रयोग था कि केवल विज्ञान ही नहीं अपितु हर विषय में बच्चो को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर दिया जाय , ताकि प्रत्येक बच्चे की सहभागिता हो I हमारी प्राचीन भाषा संस्कृत के महत्व को उजागर करने का उत्तरदायित्व मुझे मिला I अपने सीनियर्स के सहयोग से मैंने बच्चो के साथ मिलकर “गुरुकुल परियोजना” पर कार्य किया और बच्चो में संस्कृत भाषा के प्रति उत्साह जागृत किया I “गुरुकुल” और “संस्कृत वीथिका “सफल परियोजना थी i उस समय मै विद्यालय में एक नई अध्यापिका थी लेकिन मुझे ऐसा अवसर और विश्वास का मंच प्रदान किया गया जिससे मै  उत्साहित हुई और मेरा आत्मविश्वास बढ़ा I

माइंडफुलनेस से व्यक्तिगत जीवन में सहजता आई – कहते है कि- “जैसा संग वैसा रंग “ यह सच है I राकेश कपूर सर हम सबसे एक डायरेक्टर की तरह नहीं अपितु एक सद्गुरु की भाति जुड़े है I जीवन में मधुरता  है तो कटुता भी है ,आशा है तो निराशा भी है लेकिनं यदि हम हर पल में सचेतन रहे ,पूर्वाग्रह से बाहर निकलकर सोचे तो वास्तविकता से जुड़ सकते है I मेरे साथ कुछ पारिवारिक समस्याए थी ,जिससे मै असहज और तनावग्रस्त  हो जाती थी , मै अतीत को सोचकर स्वयं को दुखी करती थी ,लेकिन अब माइंड फुल होकर वर्तमान में रहना सीखा I स्वम भी सहज बनी और अपने  से जुड़े अन्य को भी सहज बनाने का प्रयास करती हूँ  I

जब मातृत्व सुरक्षा की अनुभूति हुई – School is the second home and teacher is the ALMA MATER (second mother) यह वाक्य अक्षरशः सत्य है i विद्यालय न केवल बच्चो के साथ अपितु बल्कि हमे भी मातृत्व सुरक्षा प्रदान करता है i एक मानक वेतन प्राप्त  करके हमे वर्तमान में  आर्थिक सुरक्षा तो मिलती ही है ,साथ ही पेंशन योजना ,हेल्थ पालिसी ,कर्मचारी भविष्य निधि इन योजनाओं से हमारा भविष्य भी सुरक्षित है I सभी कर्मचारी इन सुविधाओं से लाभान्वित हो रहे हैं I  इतना ही नहीं निजी विद्यालय होने के वावजूद भी  मैनेजमेंट की तरफ से हमारा सेवा काल स्थाई है I

मेरी यात्रा के इस पड़ाव को भला मै कैसे भूल सकती हूँ , जब कठिन परिस्थिति में विद्यालय मेरे साथ था I विगत पांच वर्ष से मै स्वास्थ्यगत समस्या से पीड़ित थी –लेकिन मेरी कृतज्ञता कम पड़ जाएगी राकेश कपूर सर जी के प्रति जिन्होंने न केवल नैतिक समर्थन दिया ,बल्कि हेल्थ पालिसी से आर्थिक सहयोग भी किया और मेरी स्वास्थ्यगत समस्या का निदान हुआ I

कोविड की प्रतिकूल परिस्थिति में विद्यालय के  सार्थक प्रयास से  हम ऊर्जावान बने  –

यह वर्ष सभी के लिए चुनौती भरा था ,लेकिन ऐसे समय में भी मॉडर्न स्कूल ने अपनी सृजनात्मक सोच से बच्चों को उत्तम शिक्षा से जोड़े  रखने का कार्य किया I मार्च के अंतिम सप्ताह से ही ऑनलाइन कक्षाए शुरू कर दी गयी I इतना ही नहीं शिक्षक स्वस्थ रहे –इसका भी ध्यान विद्यालय प्रबंधन ने रखा I रोग –प्रतिरोधक काढ़ा , शारीरिक योग ,प्राणायाम इन प्रभावी कारको को  हमारी रोजमर्रा की जीवन –शैली में शामिल किया गया और सौभाग्य से हम सभी स्वस्थ रहे I इसके साथ ही सभी कर्मचारियो को मानक वेतन मिला ,जिससे प्रतिकूल समय में  हमारे साथ हमारे परिवार की भी सकारात्मक ऊर्जा कायम रही I

२१ वी सदी के क्रांतिकारी युग में आत्मबल के साथ –साथ ,परिस्थितियो से सामंजस्य बनाने के कौशल की आवश्यकता है I बच्चे हर क्षेत्र में स्वयं को मजबूती से स्थापित कर सकें- इस हेतु  मॉडर्न स्कूल कृत- संकल्प है I शिक्षा की अंधी दौड़ में शामिल न होकर मॉडर्न स्कूल अपने अद्वितीय  पाठ्यक्रम तथा अंतराष्ट्रीय शिक्षा पद्धति से बच्चो को लाभान्वित कर रहा है I

अपनी बारह वर्ष की यात्रा में विद्यालय से जुडकर मैंने बहुत कुछ सीखा और वास्तविक जीवन में प्रयोग किया I अंत में ये अवश्य कहना चाहूंगी कि- माननीय राकेश कपूर जी के प्रोत्साहन और प्रशिक्षण से ही  शिक्षण कार्य से नेतृत्व तक का सफ़र संभव हुआ और भविष्य में भी जारी रहेगा I जहाँ  शिक्षा को  व्यवसाय नहीं बल्कि  एक पवित्र अभियान समझा जाता है ऐसी कर्मस्थली से  जुड़ने का अवसर मिला ,ये हमारे लिए गौरव  की बात है I

डॉ. सरोज राय

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